Thursday, October 25, 2007

क्या हम सुधरेंगे ?

आज का पहला विचार प्रवाह है , क्या हम भारतवाशी सुधरेंगे ?

आप कहेंगे ये कोन सा विचार है, अरे हम भारतीयों ने तो कई उचाइयों को पार किया है :
१ हमारे मुकेश अम्बानी दुनिया के पाँचवे नम्बर के अमीर व्यक्ति है।
२ नासा तथा माइक्रोसोफ्ट कम्पनी मे कई भारतीय श्रमिक है।
३ बोबी जिंदल, कल्पना चावला इत्यादी कई भारतीय हस्तियों ने विश्व को चमत्कृत किया है।

यह सब सत्य है लेकिन इससे भी ज्यादा सत्य है कि हम और अधिक उचाइयों को छू सकते है लेकिन हम नही छू पा रहे या यह कहे कि हम उन उचाइयों को छूना ही नही चाहते।

कई बाते ऐसी है कि जिन्हें हमे जानना चाहिऐ, मानना चाहिऐ , पहचानना चाहिऐ।

आइये हम इन बातो का विश्लेषण करे :-

१ हम भारतीय हर जगह कचरा फेकते है, यदि हम रोड पर चल रहे होते है तो वहाँ पर, कही पर कचरा फेक देते है। बिल्डिंग मे रहने वाले नीचे कचरा फेक देते है , अन्य विकसित देशो मे वहाँ के लोग सिर्फ कचरा पेटी मे ही कचरा फेकते हैं ।

२ हम भारतीय राजनीती मे भावुक होकर वोट देते हैं और नतीजा सामने है कि मलेशिया जैसा देश जो १९४५ मे आजाद हुआ था, आज हमसे कई गुना आगे है। मलेशिया तो एक उदाहरण है , ऐसे कई और देश हैं।

३ हिन्दी राष्ट्रभाषा और राजभाषा है पर हम जितना हो सके इंग्लिश का ही प्रयोग करते है।
अगर हमारे मोबाइल मे कुछ समस्या हो तो हम कॉल सेंटर पर हिन्दी कि अपेछा इंग्लिश मे ही बात करना ज्यादा पसंद करते हैं। ये फिल्मी कलाकार हिन्दी फिल्मो से नाम और पैसा कमाते है, पर जब साछात्कार (इंटरव्यू) का समय आता है तब इंग्लिश का मोह छोड़ नही पाते।

४ हम रोड पर गाडियाँ चलाते है और बेवजह हार्न बजाते हैं , ट्राफिक जाम होने पर लगातार हार्न बजाते हैं।
विकसित देशो मे इस तरह हार्न नही बजाया जाता , सिर्फ आपातकालीन समय मे ही हार्न बजाया जाता है।

५ हम प्रदुषण बढ़ाने का कार्य करते हैं , भगवान कि पूजा करने के बाद अगरबती की राख, अन्य पूजा सामग्री नदियों मे प्रवाहित करते हैं जिससे नदियों मे प्रदुषण फेलता है. क्या इन चीजों को कचरा पेटी मे डालने से भगवान नाराज हो जायेंगे ?

ऐसी कई बाते है, जिनको हमे समझना पड़ेगा।